भारत आज दुनिया में तेजी से ताकतवर हो रहा है, लेकिन कई देश इसके राज चुराने की कोशिश करते हैं। पाकिस्तान, रूस (तब का USSR), और अमेरिका जैसे देश हनी ट्रैप, पैसे, और विचारधारा के जरिए भारतीय सैनिकों और नेताओं को फंसाते आए हैं। अभी हाल फ़िलहाल में ज्योति मल्होत्रा के साथ साथ और भी कुछ लोगो को जासूसी के आरोपों में अरेस्ट किया गया है। और बहुत ही सीरियस खुलाशे हो रहे है। यह लेख बताता है कि कैसे ये जासूस भारत की सुरक्षा के लिए खतरा हैं और हमें क्या करना चाहिए।
पाकिस्तान की ISI और हनी ट्रैप का खेल
साल 2021 में खबर आई कि पाकिस्तान की ISI ने ऑपरेशन हैदराबाद के जरिए 200 भारतीय सैन्य अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाया। ISI इसके लिए हर साल 3,500 करोड़ रुपये खर्च करती है। रावलपिंडी में उन्होंने एक खास ट्रेनिंग सेंटर बनाया है, जहां 900 लड़कियों को भारतीय हिंदू बनकर सैनिकों को फंसाने की ट्रेनिंग दी जाती है। ये लड़कियां हिंदू नाम रखती हैं और उनके घर को हिंदू मंदिर जैसा सजाया जाता है।
एक मामला तो चौंकाने वाला था। पाकिस्तानी जासूस जारा दास गुप्ता ने DRDO के पूर्व निदेशक प्रदीप कुरुलकर को फंसाकर ब्रह्मोस, आकाश, और अग्नि-6 जैसे हथियारों के राज चुरा लिए। यह दिखाता है कि ISI कितनी चालाकी से भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचा रही है।
रूस की KGB और विचारधारा का जाल
पुराने समय में रूस की KGB ने भारत की राजनीति में घुसपैठ की। मित्रोखिन आर्काइव्स नाम की किताब बताती है कि KGB ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) के नेता अजय घोष को अपना जासूस बनाया। उन्हें नकली कंपनियों के जरिए पैसे दिए गए। 1957 में केरल में CPI ने कम्युनिस्ट सरकार बनाई, जो दुनिया की पहली चुनी हुई कम्युनिस्ट सरकार थी।
1969 में जब इंदिरा गांधी की सरकार को समर्थन चाहिए था, CPI ने उनकी मदद की। किताब के मुताबिक, इंदिरा के 40% मंत्री KGB के पैसे पर थे। KGB ने JNU जैसे विश्वविद्यालय भी बनवाए, जहां समाजवादी विचारधारा को बढ़ावा मिला।
अमेरिका की CIA और भारत में साजिश
अमेरिका की CIA ने भी भारत में जासूसी की। 1975 में इमरजेंसी के दौरान CIA ने इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल का फायदा उठाया। कुछ लोग कहते हैं कि नेता जेपी नारायण और मोरारजी देसाई CIA के लिए काम करते थे। मोरारजी जब 1977 में प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने भारत के 1974 के परमाणु परीक्षण के लिए अमेरिका से माफी मांगी।
CIA ने रविंद्र सिंह जैसे लोगों मिशन RAW किताब बताती है कि रविंद्र सिंह ने RAW में रहकर खालिस्तानी आतंकियों की मदद की और गोपनीय दस्तावेज लीक किए। जब वह पकड़ा गया, तो CIA उसे अमेरिका ले गई।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
यह खतरा आज भी है। रूस, फ्रांस, जर्मनी, और पाकिस्तान जैसे देश भारतीय अधिकारियों को पैसे, हनी ट्रैप, या ब्लैकमेल से फंसाते हैं। परमाणु हथियारों से लेकर सैन्य योजनाओं तक के राज लीक हो रहे हैं। अगर हमारा खुफिया तंत्र कमजोर रहा, तो हमारी ताकत बेकार है।
जासूसी से बचाव
भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी। सैनिकों और अधिकारियों की नियमित जांच, साइबर सुरक्षा, और हनी ट्रैप के खिलाफ जागरूकता जरूरी है। देशभक्ति और ईमानदारी को बढ़ावा देना होगा। भारत के राज सुरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है।